जब भी बात रक्षाबंधन की आती है तो सबसे पहले भाई बहन के एक दुसरे के प्रति सच्चे प्यार, समर्पण, अटूट विश्वास और जिम्मेदारी का ही ख्याल आता है, रक्षाबंधन एक ऐसा पवित्र त्यौहार है, जो भाई-बहन के रिश्ते को और ज्यादा मजबूत करता है,
भारत में मनाये जाने वाले त्योहारों में रक्षाबंधन एक प्रमुख त्योहार है, जो भारतीय महीनों के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, हालाँकि रक्षाबंधन मुख्यत: हिन्दुओं का त्यौहार माना जाता है किन्तु इसे जैन और सिख लोग भी उतनी ही धूम धाम से मनाते हैं,
भारत की अनेकता में एकता की सदियों पुरानी संस्कृति रक्षाबंधन में भी देखने को मिलती है, इसे हिन्दुओं का त्यौहार भले ही माना जाता हो किन्तु यहाँ अब मुस्लिम, इसाई व अन्य समुदाय के लोग भी रक्षाबंधन मनाये लगे हैं,
रक्षाबंधन जो रक्षा और बंधन दो शब्दों से बना है, यानि की भाई और बहन के बीच एक ऐसा मजबूत रिश्ता (बंधन) जिसमे भाई अपनी बहन की हर प्रकार से सुरक्षा का बचन लेता है,
रक्षाबंधन से सम्बन्धित कहानियाँ
हुमायूँ और कर्णावती
रक्षाबंधन से सम्बन्धित कई कहानियाँ भी प्रचलित हैं उनमे से एक रानी कर्णावती और हुमायूँ की कहानी प्रमुख है, जब रानी कर्णावती के राज्य चितौड़ पर आक्रमण होता है, और उनके राज्य पर खतरा मंडराने लगता है, तो रानी मदद के लिए हुमायूँ को एक पत्र और राखी भेजती है,
हुमायूँ को जैसे ही पत्र व राखी मिली वे तुरंत ही चितौर व महारानी की मदद के लिए निकल पड़े, किन्तु दुर्भाग्यवश जब तक वे चितौड़ किले तक पहुचे महारानी आत्मसम्मान में आत्मदाह कर चुकी थीं,
कृष्ण और द्रोपदी
एक अन्य कहानी के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण का हाथ पतंग से कट गया जिससे खून बहने लगा, यह देख द्रोपदी ने अपनी साडी का किनार फाड़कर कृष्ण के हाथ में बांध दिया, तब से कृष्ण ने द्रोपदी को बहन मानकर उनकी रक्षा का बचन लिया.
कैसे मनाया जाता है रक्षाबंधन
इस दिन बहन अपने भाई को एक पवित्र धागा बांधती है, यही पवित्र धागा, जिसे राखी कहते हैं, भाई-बहन के बीच मजबूत रिश्ते की डोर है, इस दिन सभी भाई बहन साफ व नये कपड़े पहनते हैं, फिर पूजा की थाली सजाई जाती है, जिसमें राखी, दिया, धूप, मिठाई, पकोड़ी आदि चीजें मौजूद होती हैं, बहन पहले भाई को तिलक लगाती है, उसकी आरती उतारती है, फिर दोनों एक दुसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा करतें हैं, फिर बहन भाई को राखी पहनाती है और भाई अपनी बहन को गिफ्ट, पैसे व अन्य चीजे देता है,
जब बहन और भाई एक दूसरे से दूर होते हैं तो बहन भाई के लिए राखी भेजती है, भाई भी बहन के लिए उपहार भेजता है,
भाई -बहन के रिश्ते को शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता. यह रिश्ता समर्पण, प्रेम, त्याग और विश्वास का प्रतीक है,
रक्षाबंधन का विस्तृत महत्व
हालाँकि रक्षाबंधन को भाई- बहन का ही त्यौहार माना जाता है लेकिन इसका महत्व इससे भी विस्तृत है, पुराने समय में ब्राह्मणों द्वारा राजाओं को राखी का धागा बाँधा जाता था, जिसके बदले में राजाओं द्वारा ब्राह्मणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती थी, आज भी ब्राह्मण अपने यजमान के घर जाकर उन्हें राखी पहनाते हैं, और यजमानों द्वारा उन्हें उपहार दिए जाते हैं,
एक कहानी के अनुसार इंद्र को उनकी पत्नी ने राखी पहनाई थी, ताकि राक्षसों से उनकी रक्षा हो सके,
आज रक्षाबंधन का सम्बन्ध केवल हिन्दू या सिख धर्म तक सीमित नहीं है बल्कि अब बौद्ध, जैन, ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों के बहुत से लोग रक्षाबंधन का पर्व बड़ी धूम धाम से मनाते हैं,
राखी गुरुओं, सम्मानित व्यक्तियों (जैसे भारत के प्रधानमन्त्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, सेना के जवानों आदि) को भी बच्चों द्वारा राखी पहनाई जताई है.
रक्षाबंधन का विस्तृत महत्व यह है की अब कई लोग पर्यावरण की रक्षा के लिये पेड़ों को भी राखी बांधने लगे हैं, यह पर्यावरण के प्रति उनके सम्मान और पर्यावरण संरक्षण की भावना को दर्शाता है.
क्या सिखाता है रक्षाबंधन
हर चीज से हमे कुछ न कुछ सीखने को मिलता है, चाहे वह त्यौहार ही क्यों न हो, रक्षाबंधन से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, आएये जानते हैं की इस खूबसूरत त्यौहार से हम क्या-क्या सीख सकते हैं-
1. एक दुसरे के प्रति समर्पण की भावना,
2. एक दुसरे से प्रेम और त्याग की भावना,
3. खुस रहना और खुशियाँ बाँटना,
4. रिश्तों का महत्व खासकर भाई और बहन का पवित्र रिश्ता.
5. पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता- लोग पेड़ों को भी राखी बांधते हैं,
6. भाई बहनों में एकता- इस दिन सभी भाई बहन एक ही जगह पर एकत्रित हो जाते हैं,
7. समाज में एकता- अब अलग अलग धर्मो के लोग एक दुसरे को राखी बांधने लगे है,
उपसंहार
भारत में मनाया जाने वाला हर त्यौहार लोगों को खुशियों और उमंग से भर देता है, इन त्योहारों में बच्चे सबसे ज्यादा Enjoy करते हैं, रक्षाबंधन में भी बच्चे खूब मजे करते हैं वहीं बड़े भाई बहन जो एक दुसरे से दूर रहते हैं उन्हें कई बार साल में एक बार ही मिलने का मौका मिलता है, यही वह सुभ अवसर होता है जब वे अपने भाई बहनों से काफी समय बाद मिल सकते हैं,
इस प्रकार समर्पण और विश्वास का प्रतीक यह त्यौहार लोगों को एकता के सूत्र में बांधने का काम करता है और बच्चों व बड़ों को खुशियों से भर देता है.
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