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Friday, August 10, 2018

Independence day India in hindi/ Are we really Independent in hindi

                                                                                     

सबसे पहले आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की सुभकामनाये,

हमारे देश को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो चुके हैं, बाहरी ताकतों से तो देश आजाद हो गया है, लेकिन क्या हम फिर भी स्वतंत्र हैं? 1947 से पूर्व की गुलामी से तो हम मुक्त हो गये हैं लेकिन क्या हम फिर भी स्वतंत्र है?

हम सब जानते हैं किस तरह देश के वीरों ने हमे आजादी दिलाई, खुद के जीवन को कुर्बान करके देश को बाहरी ताकतों से मुक्त करा गये, उन्होंने अपना कर्तव्य निभाया और बहुत अच्छे से निभाया,

उनके पास भी विकल्प था वे भी गुलामी स्वीकार कर खुद की जिन्दगी बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने गुलामी स्वीकार नहीं की, क्योंकि उन्होंने देश के लिए कुछ और ही कल्पना की थी, एक आजाद भारत की, एक खुशहाल भारत की, एक विकसित भारत की, एक अखंड भारत की, एक अमीर भारत की, एक शक्तिशाली भारत, एक महान भारत की.

वे जानते थे यदि देश विदेशी जंजीरों से मुक्त हो गया तो हम भारतीय अपने देश को समृद्ध कर सकते हैं, क्योंकि विदेशी ताकतें हमारे देश को खोखला कर अपनी  तिजोरियां भर रही थी, जो की हमारे देश के विकास में बाधक था, अत: देश के हित के लिए विदेशियों की जकड़ से मुक्ति जरूरी थी, अत: हमारे वीरों ने अपने आप को, अपनी जिन्दगी, अपनी खुशियों को कुर्बान कर दिया और अंत में देश को आजाद करा गये.

लेकिन फिर सवाल वही है क्या हम आजाद हैं? या हम आज भी गुलाम हैं!


हाँ हम किसी विदेशी ताकत के गुलाम तो नहीं हैं, लेकिन कुछ और हैं जो हमे आज भी जकड़े हुए है, कुछ और हैं जिसके हम आज भी गुलाम हैं, कुछ और है जिससे हमे आजादी चाहिए!

और वो है हमारी संकुचित मानसिकता! क्या हम मानसिक तौर पर अदृश्य जंजीरों से जकड़े हुए नहीं है?

चलिए खुद को परखते हैं की हम कितने आजाद है, और कौन से बाधायें हैं जो हमारे देश के विकास में अड़चने पैदा कर रहीं है,



1.जातिवादी मानसिकता -

क्या आज भी देश में जातिगत भेदभाव नहीं है? क्यों आज भी लोग जाति के आधार पर संघठन बनाते हैं? क्यों आज भी किसी भी जाति के लोगों द्वारा दूसरी जाती के लोगों को नीचा दिखाया जाता है? क्यों लोग किसी को खुद की जाति का मान लेने पर गलत का भी साथ देते हैं? क्यों लोग दूसरी जाति वाले सही इन्सान का भी साथ नहीं देते? क्यों जाति के नाम पर सडकों पर उतरते हैं और सरकारी सम्पति को नुक्सान पहुचाते हैं?

क्यों देश से बढकर एक जाति हो जाती है? क्यों आज भी देश में मानसिक तौर पर समानता नहीं है? क्यों आज भी राजनीतिक पार्टियाँ जाति के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकने में कामयाब हैं? और क्यों आज भी लोग जाति के आधार पर वोट कर रहे हैं?

क्यों? क्यों? क्यों?........

इन सारे क्यों का मेरे पास कोई जवाब नहीं है, लेकिन इतना यकीन है की यदि हमारा देश इस मानसिकता से मुक्त हो गया तो देश में एक बहुत बड़ी क्रांति आ जाएगी, देश में एकता और परिवर्तन की लहर दौड़ जाएगी, यकीनन हम विकास की राह पर तेजी से दौड़ने लगेंगे,

यदि सभी लोग हमेशा से संगठित होते तो कोई भी विदेशी कभी भी हमारे देश पर राज नहीं कर पाता, कोई आक्रमण करने की भी हिम्मत नहीं कर पाता और जीतने में सफल होना तो बहुत दूर, यदि आज भी हम संगठित न हुए तो इसका फायदा भी दूसरे देश उठाएंगे या उठा रहे हैं,

चलिए एक जंजीर (जातिवादी मानसिकता) से बाहर निकलकर खुद को थोडा और आजाद करते हैं.



2.धार्मिक नफरत -

कहीं हम धार्मिक नफरत के शिकार तो नहीं हैं? अगर कोई आपसे धार्मिक वजह से नफरत करे तो कोई बात नहीं लेकिन कहीं आप तो किसी से धार्मिक वजह से नफरत नहीं करते?

अगर ऐसा है तो सजग हो जाये, आप उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते जिससे आप नफरत करते हैं लेकिन आप खुद को कितना नुकसान पहुचा रहे हैं उसका आपको शायद अंदाजा नहीं है, जिस वक्त आप किसी से नफरत करते हैं उस समय आपकी मानसिक स्थिति कैसी होती है?, जरा महसूस करें, आपके अंदर कितनी नकारात्मकता होती है? आप कितने नाखुस होते हैं? आपके अंदर कितनी असंतुष्टि होती है? और ये सब आपकी आंतरिक शांति या मन की शांति को किस तरह नष्ट कर देते हैं जरा गौर करें,

नफरत चाहे धार्मिक हो या कैसी भी हो वो नफरत करने वाले के मन को बीमार कर देती है और उसको एक अनजाने दुःख में धकेल देती है ऐसा दुःख जो वह खुद के लिए खुद चुनता है.

धार्मिक नफरत केवल किसी व्यक्ति के लिए ही घातक नहीं है बल्कि देश की एकता में भी बाधक है, जो लोग धार्मिक नफरत फैलाते हैं वो देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं, जब लोग धार्मिक तौर पर लड़ते रहते हैं तो देश की तरक्की धीमी हो जाती है, और जब देश में हर तरह से एकता होती है तो देश के लोग मिलकर देश का विकास करते हैं, आप क्या चाहते हैं देश की तरक्की में रोड़ा बनना या देश के विकास में योगदान करना?

यकीनन आप देश के विकास में योगदान करना चाहेंगे तो तुरंत ही अपने आप को इस दूसरी गुलामी की जंजीर से मुक्त कर दीजिये.



3.सीमित सोच -

किसी भी देश के विकास में उसके युवाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है और फिर भारत के लिए तो यह एक बहुत बड़ी opportunity है क्योंकि देश की एक बहुत ही बड़ी आवादी युवा है, यदि सारे युवा देश हित में मिलकर काम करें तो देश को तरक्की की किन ऊंचाइयों पर पहुचा सकते हैं इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन फिर एक और बाधा, एक और जंजीर आड़े आती है और वह है - सीमित सोच!

विकसित देशों में जहाँ बच्चे बहुत छोटी उम्र से नई-नई चीजें सीखने लगते हैं, नये experiment करना, नये business करना, खुद से कमाना आदि, जबकि हमारे देश में युवा एक बड़ी उम्र तक अधिकतर चीजों के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर करते  है, कोई भी नया काम करने से हिचकते हैं, किसी भी failure से डरते हैं, कोई गलती न कर दें इसलिए कोई काम करने से बचते हैं, जो काम सब कर रहे होते है वही करने लगते हैं, अधिकतर युवा या बच्चे रिस्क लेने से डरते हैं और एक comfort zone में अपने आप को महफूज रखते हैं और फिर उससे बाहर नहीं निकलना चाहते,

यहाँ लोगों पर सफलता की इच्छा से ज्यादा लोग क्या कहेंगे वाली मानसिकता हावी रहती है, जो तरक्की में सबसे बड़ी बाधा है, न सिर्फ एक व्यक्ति की तरक्की में बल्कि पूरे देश के विकास में बाधक है.

यकीनन देश के विकास के लिए जरूरी है की देश का हर युवा अपनी सोच का विस्तार करें, सीमित सोच के दायरे से बाहर निकले, अपने comfort Zone से बाहर निकले और नये रिस्क ले, नये कामों में हाथ अजमाए, किसी भी तरह के डर से बाहर निकले और अपनी योग्यता के दम पर नई ऊंचाइयों को छुए,

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4. राजनीतिक हस्तकक्षेप -

आजकल बहुत से लोगों की जिन्दगी में राजनीतिक हस्तकक्षेप कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है, अधिकतर लोग खुद को एक राजनीतिक पार्टी से जुडा हुआ मान लेते हैं और फिर राजनीतिक बहस का कोई अंत ही नहीं होता, लोग किसी पार्टी के समर्थन में खुद के भाई, दोस्तों, परिवार आदि से लड़ रहे होते हैं. सोशल मीडिया पर तो यह बहस हर समय चलती रहती है,

अफ़सोस तो तब होता है जब लोग जिस पार्टी के समर्थक होते हैं उसके गलत करने पर भी उसका समर्थन करते हैं और दूसरी पार्टी के सही करने पर भी उसका विरोध करते हैं,

हमें लोकतंत्र का सही मतलब समझना होगा, जब हर सही निर्णय का समर्थन होगा और हर गलत निर्णय का बिरोध, चाहे वह निर्णय कोई भी पार्टी ले, तभी सही मायने में देश सही दिशा में सही गति से आगे बढ़ पायेगा, वरना राजनीतिक पार्टियाँ लोगों को आपस में लड़ाकर अपना फायदा देखती रहेंगी.

लोकतंत्र में हमे किसी पार्टी का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं आप किसी पार्टी के नहीं देश हित के समर्थक हैं, जो देश हित करेगा हमें उसी के साथ खड़े होना है, और उतनी ही देर तक उनके साथ रहना है जब तक वो देश हित करते रहेंगे.

तो चलिए इस एक और गुलामी की जंजीर से भी खुद को आजाद करते हैं और देश के सच्चे हितैषी बनकर सही का साथ देते हैं,



इन सबके आलावा भ्रष्टाचार, अपराध, आतंकवाद, क्षेत्रवाद, गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, बढती जनसंख्या, जरूरी संसाधनों(पानी, बिजली, हॉस्पिटल, यातायात के साधन आदि) की कमी, चारों तरफ फैली गंदगी और भी बहुत सी जंजीरे जिनसे अभी देश को आजादी दिलानी है,




हम अपनी भावी पीढ़ी के लिए क्या छोडके जाये-

हमें खुद सोचने की जरूरत है, यदि हमारे पूर्वजों ने भी हमे अंग्रेजो से आजाद नहीं कराया होता तो हम किस तरह गुलामी में जी रहे होते, उन्होंने हमे आजाद भारत दिया जिसमे हम खुद के निर्णय लेने, कहीं भी घूमने, अपनी सरकार चुनने, अपनी बात रखने आदि बहुत सी चीजों के लिए स्वतंत्र हैं,

अब हमारा कर्तव्य है की अपनी भावी पीढ़ी के लिए हम भी कुछ करके जाएँ, हमें सोचना है हम आने वाले नये भारत के लिए क्या छोडके जाने वाले हैं, वही गरीबी, नफरत, भ्रष्टाचार, गंदगी, हिंसा या फिर एक खुशहाल भारत, सम्पन्नता, सहयोग, एकता, समृद्धि और विकसित भारत.



थोडा सा मानसिकता में बदलाव की जरूरत है-


यदि हर व्यक्ति अपनी मानसिकता में थोडा सा बदलाव करदे, थोडा सा हम ज्यादा सकारात्मक हो जाये तो देश में अपराध, नफरत, गरीबी, हिंसा और हर तरह की नकारात्मकता धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी, थोडा सा राजनेता बदल जाएँ, थोडा सा मीडिया, थोडा सा जनता, थोडा सा सरकार, थोडा सा कर्मचारी, थोडा सा स्टूडेंट, थोडा सा युवा, शिक्षा व्यवस्था बदल जाये, तो देश में क्रांति आ जाएगी और देश एक नये युग खुशहाली की तरफ बढ़ जायेगा.



चलो एक खुशहाल भारत बनाते हैं,

चलो एक सपनों का भारत बनाते हैं, एक ऐसा भारत जहाँ सब मिलझुल कर रहते  हों, कोई धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र, सम्प्रदाय आदि किसी भी आधार पर कोई किसी से नफरत न करे,

जहाँ कोई गरीबी न हो, जहाँ कोई भिकारी न हो, जहाँ कोई भ्रष्टाचार न हो, कोई ट्राफिक जाम न हो, चौड़ी- चौड़ी सडकें हों, हर तरफ साफ सफाई हो, लोग योग्यता के आधार पर अपने नेता चुने न की जाति या धर्म के आधार पर,

लोग दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार हो, हॉस्पिटल आदि मूलभूत सुविधाओं की कोई कमी देश में न हो, शिक्षा व्यवस्था उच्च कोटि की हो, जहाँ बच्चों को व्यवहारिक और practical ज्ञान ज्यादा दिया जाता हो, बेरोजगारी न हो,

हर युवा अपनी योग्यता को पहचाने और उसी के आधार पर अपना करियर चुने,  पूरे उत्साह से आगे बढ़े और सफल हो,



यदि हम एक खूबसूरत भारत चाहते हैं तो हमें बदलाव की सुरुवात खुद से करनी होगी, खुद को हर दिन थोडा सा बदले तो धीरे धीरे पूरा देश बदल जायेगा,

हम दूसरों को force नहीं कर सकते की वे बदलें लेकिन सबसे आसान काम जो हम कर सकते हैं वो है खुद को बदलने का. चलो थोडा सा ज्यादा खुश हो जाएँ, थोडा और दयालु हो जाये, थोडा और सकारात्मक हो जाये, थोडा और साहसी, थोडा और आत्मविश्वासी, थोडा और मदद करने वाले,

थोडा और सफाई रखने वाले, थोडा और एकता से रहने वाले, थोडा और स्वस्थ, अपने काम में थोडा और समर्पित, थोडा और समझदार, थोडा सोशल मीडिया, टीवी, मोबाइल आदि पर कम समय बर्बाद करें,

यही थोडा सा बदलाव देश में बड़े बदलाव को ले आएगा और देश एक नई दिशा में तरक्की के तरफ अग्रसर होगा.



Conclusion

दोस्तों हम कब तक सुंदर पिचाई, लक्ष्मी मित्तल, सत्या नाडेला, इंद्रा नुई, आदि नामों से खुस होते रहेंगे, जो भारतीय मूल के तो हैं लेकिन विदेशो में सही माहौल मिलने के कारण सफल हुए हैं,

मैं उस भारत की कल्पना करती हूँ जब हमारे ही देश में भी योग्यता की कद्र की जाएगी, जब सुंदर पिचाई जैसे लोग भारत में ही अपनी सेवाएं देना पसंद करेंगे, सिर्फ भारतीय ही नही, विदेशी भी हमारे देश में आकर अपनी योग्यता पहचानेंगे, जैसे विभिन्न देशों के talented लोग यूरोप, अमेरिका आदि देशों में जाकर खुद को साबित करते हैं, जब विदेशों के talented student भारत में आकर पढ़ने के लिए उत्साहित होंगे, जैसे वे विकसित देशों में जाने के लिए उत्साहित होते हैं,

जब चारों तरफ शांति होगी, खुशहाली होगी, सम्पन्नता होगी, development होगा, स्वच्छता होगी और हर मूलभूत सुविधा होगी,

लोग छोटी सोच, जातिवादी मानसिकता, धार्मिक झगड़े, सम्प्रदाय आदि छोटी और तुच्छ चीजों में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहेगे, बल्कि हर तरह से खुद को बेहतर करने में और देश के विकास में सहयोग करने के लिए तत्पर रहेंगे,

फिर हमारे देश में सिर्फ सम्पन्नता, खुशहाली, समृद्धि, विकास होगा, और हम विकास में यूरोपीय देशों से आगे निकल जाएंगे, और हर सही मायनों में विश्व गुरु बन जायेंगे. मैं तो ऐसे भारत की कल्पना करती हूँ, आप अपने देश को कैसा देखना चाहते हैं comment में जरूर बताएं,


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