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Sunday, December 3, 2017

Selfless Life,hindi story,why should live selfless life/निस्वार्थ जीवन क्यों है जरूरी


"प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है। ये आप ही के कर्मों से आती है।"                                                                                                 - Dalai Lama

       
किसी की बिना स्वार्थ के मदद करना बहुत ही कम लोग जानते हैं, और जो लोग जानते हैं वह उसका महत्व भी समझते हैं, वे जानते हैं की किसी व्यक्ति की मदद करने से जो सच्ची ख़ुशी मिलती है वह बहुत से पैसे देकर भी नही खरीदी जा सकती,

लेकिन बहुत से लोग इसका महत्व नहीं समझते, वे लोग अपने आप में इतने उलझे हैं की किसी और से उन्हें कोई मतलब नहीं, कोई जिए मरे उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ता, उनके लिए वे खुद और ज्यादा से ज्यादा उनके करीबी लोग खुस रहें बाकि दुनिया से कोई मतलब नहीं,

ऐसे लोग कभी खुश नहीं रह पाते और अपनी ही छोटी सोच में उलझकर रह जाते हैं,

आएये पढ़ते हैं ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी जिसका स्वार्थी रवैया उसी के दुःख का कारण बनता है,                       
'एक बार एक सडक हादसे में एक लड़का बुरी तरह जख्मी हो गया, लडके का चेहरा, उसके कपड़े और पूरा शरीर खून से लतपथ था. चारो तरफ लोग इकठ्ठे हो गये, 


     वह खड़े लोगों से मदद मांगने लगा, वह लोगों से विनती करने लगा कि कोई उसे हॉस्पिटल पहुचाये लेकिन वहां खड़ा कोई भी आदमी उसकी मदद के लिए आगे नही आया, वहां भीड़ बढती जा रही थी लेकिन उनमे से कोई भी मदद करने के लिए तैयार नही हुआ,




        सभी तमासबीन बने रहे कोई उसकी फोटो ले रहा, तो कोई मोबाइल से विडियो बना रहा लेकिन उनमे से कोई भी उस घायल लड़के की मदद के लिए आगे नही आया, अंत में उस लडके की नजर सामने खड़े एक व्यक्ति पर पड़ी, लड़का उस व्यक्ति से मदद की भीख मागने लगा उसे यकीन था की यह व्यक्ति उसकी मदद जरूर करेगा,






      लेकिन उस व्यक्ति ने भी उसकी गुहार को अनसुना कर दिया और ओरों की तरह तमासा देखता रहा, अब घायल लड़का और जोर से चिलाने लगा और उस व्यक्ति से मदद करने को प्रार्थना करने लगा लेकिन उस व्यक्ति को तब भी उस लडके पर दया नही आई और अंत में वह खड़ा व्यक्ति वहां से चला गया,



"जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।"                                                                                                                       - Osho 

     कुछ देर बाद उस लडके की आवाज धीमी पड़ने लगी और अंत में उसकी मौत हो गयी, कुछ समय बाद पुलिस उसकी बॉडी को लेकर गयी और उसके पास मिले मोबाइल से उसके माता पिता को सूचित किया गया, जब उसके पिता वहां पहुंचे तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी उसका पिता  वही व्यक्ति था जिससे वह लड़का मदद की गुहार लगा था,



 अपने पिता को देखकर उसे यकीन था वह उसकी मदद जरूर करेंगे लेकिन बेटे का पूरा शरीर और चेहरा खून से लथपत होने के कारण वह उसे पहचान नही पाए और उसकी मदद नहीं की. उसने अन्य लोगों की तरह ही स्वार्थी रवैया अपनाया और सोचा जब कोई मदद नही कर रहा तो मैं क्यों करूं ये मेरा कोई अपना थोड़ी है और अपने स्वार्थी व्यवहार से अपना बेटा खो दिया.



    अब उस लडके का पिता पछताने लगा की अगर उसने निस्वार्थ होकर उसकी मदद की होती तो आज उसका बेटा जिन्दा होता, अब उसके पास जिन्दगी भर के पछतावे के सिवा कोई और रास्ता नहीं था. वह रोता हुआ अपने बेटे के शव को ले गया.



     दोस्तों हमारे देश में हर साल हजारों सड़क हादसे होते हैं जिसमें हजारो लाखों लोग अपनी जान गवां देते हैं, और बहुत सारे लोग सिर्फ इसलिए अपनी जान गवां देते हैं क्योंकि कोई समय पर उनकी मदद नही करता, हम कब तक स्वार्थी बने रहेंगे कब तक सिर्फ अपने बारे में ही सोचते रहेंगे अगर हम इस देश को इस दुनिया को अपना कहते हैं तो फिर इसमे हर इन्सान को अपना क्यों नहीं समझते आखिर लोगों से मिलकर ही तो देश बनता है दुनिया बनती है.




       आज हमें प्रण लेना चाहिए की जब भी किसी भी इन्सान को हमारी मदद की जरूरत होगी हम उसकी मदद निस्वार्थ भाव से करेंगे चाहे वह हमारा सगा सम्बन्धी नही भी हो तो भी. यकीनन निस्वार्थ भाव से की गई मदद इश्वर तक पहुचती है और कहीं न कहीं से हमारे पास वापस लौटकर आती है.



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