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Saturday, December 9, 2017

प्रेरक पोस्ट चिंता छोड़ दें और आगे बढ़ें/ leave stress and to progress

"ख़ुश रहना एक विकल्प है. आप खुस रहना चुन सकते हैं. जिन्दगी में तनाव आता रहता है, लेकिन यह आपकी choice है की आप इसे खुद को प्रभावित करने देते हैं या नहीं." 
     
  "Happiness is a choice. You can choose to be happy. There's going to be stress in life, but it's your choice whether you let it affect you or not."  
                                                                           -Valerie Bertinelli
                                                             

  hello friends

                             कल मैंने अखवार में एक लेख पढ़ा, जिसमे एक शोध के अनुसार पाया गया कि जिन बच्चों के माँ बाप अपने बच्चों पर प्यार नहीं जताते व हर बात पर उन्हें डांटते रहते है ऐसे बच्चों में आत्महत्या की गूंजाइस उन बच्चो की तुलना में काफी अधिक होती है जो बच्चे अपने माता-पिता से भरपूर प्यार पाते हैं और उनका support पाते हैं.


दोस्तों हमारे देश में हर साल सैकड़ों हजारों की संख्या में युवा, छात्र, किसान और महिलाएं आदि आत्महत्या कर देते हैं जो बहुत ही दुःख और शर्म की बात है, सोचकर बहुत अफ़सोस होता है की जो मानवीय संसाधन हमारे देश की सबसे बडी ताकत है और जिसके कारण हम दुनिया में खुद को एक शक्तिशाली देश, ताकतवर देश और एक युवा देश के तौर पर देखते हैं अगर वही ताकत इस प्रकार  व्यर्थ चली जाय तो यह किसी भी देश या समाज के लिए एक कलंक से कम नहीं है.


यदि युवाओं और बच्चो की बात करें, तो आत्महत्या जैसे कदम आखिर उन्हें क्यों उठाने पड़ रहे हैं, क्यों बच्चो में ये नकारात्मकता फ़ैल रही है, क्यों बच्चे अपनी समस्याओं को अपने माता-पिता के साथ share नहीं करते, social networking sites पर आजकल सैकड़ो हजारों friends होने के बावजूद युवा खुद को अकेला क्यों समझने हैं, क्यों उनके और उनके माता-पिता, दोस्तों के बीच इतनी दूरियां आ गयी हैं की वे अपनी कोई भी समस्या अपने माता पिता या दोस्तों से शेयर नहीं करते और उससे खुद ही जूझते  रहते हैं और धीरे-धीरे अवसाद में जाकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं,

क्यों हो रहे हैं बच्चे और युवा अवसाद का शिकार

आजकल की व्यस्त जिंदगी में हर किसी के पास समय की कमी है या यूं कहे की हम समय को बर्बाद कर समय की कमी का रोना रोते हैं, आजकल social साइट्स जैसे फेसबुक, whats app, twitter, youtube etc.... पर कितना समय बर्बाद कर देते हैं कुछ पता ही नही चलता और फिर जो जरूरी काम हैं उनके लिए पर्याप्त समय नही बचता, और यही आदते युवाओ को अवसाद की तरफ ले जाती हैं, इसके साथ ही बच्चों पर अच्छे अंक लाने का, प्रतियोगिता का और अच्छे performance  का हमेशा दबाव बना रहता है, जिससे युवा कहीं न कहीं अपने लक्ष्यों, उदेश्यों, और अपने मकसद को पाने में नाकाम हो रहें हैं जिसके कारण उनमें नकारात्मकता की भावना पनप रही है, यहाँ तक की कुछ युवाओं  के लिए छोटी छोटी नौकरी और थोडा सा पैसा कमाना भी  सपने जैसा हो जाता है, इस प्रकार उनके लिए जिंदगी बोझ जैसी हो जाती है.




क्या हैं उपाय

         
1. समस्या का कारण जाने-

 इस स्थिति से बचने के लिए सबसे पहले समस्या के कारण को जानना जरूरी है किसी भी समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब उसका कारण हमे पता हो, कारण को जानकर जो भी उसका बेहतरीन समाधान हो उसे करे, यकीनन यदि किसी भी समस्या का समाधान हो जाय तो उससे सम्बन्धित चिंता अपने आप समाप्त हो जाती है.




2. बिना डरे अपनी समस्याओं का सामना करें--


अक्सर एक अनजाना डर हमे समस्या का सामना करने से रोकता है और हमे काम को टालने और भूलने के लिए मजबूर करता है जैसे हम कोई नया बिज़नस सुरु करना चाहते हैं लेकिन हमे डर लगता है की कहीं हम उसमे असफल न हो जायं, यही डर हमे कुछ नया करने से रोकता है, इस डर का सामना कीजिये और अपना काम तुरंत सुरु कीजिये उम्मीद कीजिये आप सफल होंगे साथ ही यह भी ध्यान में रखें की असफल भी हो सकते है तो अपने दिमाग को असफलता को सहने के लिए भी तैयार रखें. फिर उन असफलताओ का सामना करें उनसे सीखे  और आगे बढ़ें.






3.आज में जीना सीखें- 

अक्सर हम कोई भी काम सुरु करने से पहले ही उसके बारे में बड़े-बड़े सपने देखने लगते हैं और हमारा पूरा ध्यान बड़ी बड़ी सफलताओं और भविष्य  पर केन्द्रित हो जाता है और हम वास्तविकता से कट जाते हैं फिर हम काम तो बहुत कम करते हैं लेकिन उम्मीदे बहुत ज्यादा करने लगते हैं, जिससे काम पर फोकस न करना हमारे काम को बिगाड़ देता है, अत: आज और अभी के काम पर फोकस करें और भविष्य की चिंता करना छोड़ दें, आज का काम बेहतर होगा तो कल अपने आप अच्छा हो जायेगा.





4.लगातार नया सीखते रहें--


कुछ नया सीखते रहने से व्यक्ति active बना रहता है साथ ही साथ नया सीखते रहने से नये नये अवसर खुलते रहते हैं , इससे व्यक्ति व्यस्त रहता है जिससे फलतू की चिंता परेसान नही कर पाती.





5. माता-पिता की है अहम भूमिका- 


किसी भी बच्चे के जीवन पर उसके माता पिता का बहुत प्रभाव पड़ता है , माता पिता का व्यवहार, उनका आपस में सामंजस्य, बच्चो से उनका व्यवहार, उनका daily  रूटीन ,उनका काम हर चीज बच्चो पर अपना प्रभाव डालती है जो माता पिता अधिक व्यस्त रहते हैं और अपने बच्चो को पर्याप्त समय नही दे पाते उनके बच्चे अकेलापन महसूस करने लगते हैं, अत: माता पिता को चाहिए की अपने बच्चो के लिए पर्याप्त समय निकाले, उनके साथ बैठे, बाते करें, हंसी मजाक करें, उनकी समस्याओं को सुने और उन्हें सुलझाने में अपने बच्चो की मदद करें.


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