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Saturday, December 30, 2017

new year resolution in हिंदी, नए साल 2018 के लिए संकल्प



        New Year Resolution


        दोस्तों 2017 खत्म होने को है और नया साल 2018 नई उम्मीदों के साथ आने वाला है, वैसे तो हर दिन हमारा नया जन्म होता है और हम पुरानी गलतियों से सीखकर नई सुरुआत कर सकते हैं लेकिन नया साल हमारे लिए कुछ खास ही होता है , नये साल में हमें नई सुरुआत करनी चाहिए जो कमियां पिछले साल में रह गई हों उनको दूर करने का प्रयास करना चाहिए और जो गलतियाँ की गई उनमे सुधार करें ताकि जिंदगी को और खूबसूरत बनाया जा सके.



      नये साल के लिए अक्सर हम नये प्रण लेते हैं जिसे हम न्यू year resolution  कहते हैं, हर कोई अपने हिसाब से अपने लिए अलग-अलग resolution यानि की नये प्रण लेता है ये resolution अच्छी आदतों को अपनाने और बुरी आदतों को छोड़ने से सम्बन्धित होते हैं.


     न्यू इयर resolution कैसे लें --- resolution लेने का सबसे सही तरीका है अपनी कमियों को पहचानों और उनमे सुधार करो, जैसे कुछ लोगों की आदत होती है अपने काम को टालते रहने की तो वे लोग resolution ले सकते हैं की अब अपने किसी  भी काम को तुरंत पूरा करेंगे, कुछ लोग  social media पर अपना अधिक समय बर्बाद करते हैं तो वे इससे बचने का प्रण ले सकते हैं. दूसरी और हम सबके अंदर कुछ न कुछ अच्छी आदते भी जरूर होती हैं हमे अपनी अच्छी आदतों को भी पहचानना चाहिए और उन आदतों में और सुधार करने का भी प्रयास करना चाहिए, जैसे कुछ लोगों की आदत होती है daily सुबह उठकर exercise करने की, वे लोग इसका समय बढ़ाकर अधिक समय तक या और जल्दी उठकर exercise करने का resolution ले सकते हैं.







   दोस्तों मेरे हिसाब से न्यू इयर resolution के द्वारा हम अपनी जिंदगी में 5 प्रकार से सुधार कर सकते हैं----

1.  आर्थिक स्थिति  यानि अपने करियर में बेहतरी और अधिक पैसे कमाने के लिए

2.  स्वास्थ्य में सुधार

3.  रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए

4. सामाजिक तौर पर खुद में बदलाव

5.आध्यात्मिक शांति के लिए



 आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए RESOLUTION
  1. मैं अधिक समय तक काम करूंगा.
  2. मैं अपना BUSINESS सुरु करूंगा.
  3. मैं हर दिन अपने काम में सुधार करूंगा 
  4. मैं किसी भी काम को तुरंत पूरा करूंगा. उसे बाद के लिए टालूंगा नही,
  5. मैं किसी भी काम को पूरे ध्यान से और पूरे फोकस  के साथ करूंगा.



स्वस्थ्य को बेहतर बनाने के लिए RESOLUTION
  1. DAILY EXERCISE, ध्यान, योग आदि करूंगा.
  2.  ज्यादा हैल्दी खाना खाऊंगा.
  3.  ज्यादा ACTIVE रहूँगा,
  4. सिगरेट, शराब आदि से दूर रहूँगा.


रिश्तों को और बेहतर बनाने के लिए RESOLUTION

  1. मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताऊंगा.
  2. मैं अपने माता-पिता को हर हफ्ते call करूंगा.
  3. मैं अपने परिवार के लोगों से अच्छे से व्यवहार करूंगा.
  4. मैं पैसे से ज्यादा अपने रिश्तों को महत्व दूंगा.
  5. अपनी गलतियाँ स्वीकार करूंगा और उनमे सुधार करूंगा.
  6. मैं हर किसी की अच्छाईयों को देखूंगा और उनसे कुछ न कुछ सीखने का प्रयास करूंगा.




सामाजिक तौर पर resolution---



  1. मैं हैलमेट, सीट बेल्ट आदि का इस्तेमाल करूंगा और सभी सड़क नियमो का पालन करुगा.
  2. लोगों से अच्छा व्यवहार करूंगा.
  3. social media पर समय बर्बाद नहीं करूंगा.
  4. समाज के हित के लिए अपना सहयोग दूंगा, जैसे आस-पास सफाई रखना, कोई पेड लगाना,लोगों की मदद करना आदि.


आध्यात्मिक ज्ञान के लिए resolution


  1. मानसिक शांति के लिए ध्यान, योग के लिए समय निकालूँगा.
  2. अपनी concentration power और मानसिक क्षमता का विकास करूंगा.
  3. अच्छी किताबे पढूंगा.
  4. सकारात्मक सोच से सम्बन्धित video देखूंगा, audio सुनूंगा और इससे सम्बन्धित किताबे पढूंगा.
  5. हमेशा खुश रहने का प्रयास करूंगा और हर स्थिति को शांति पूर्वक हल करूंगा.

दोस्तों आप इनमे से अपने अनुसार कुछ resolution select कर सकते हैं और अपनी जिन्दगी में लागू कर सकते हैं. यकीनन आपकी जिन्दगी में सकारात्मक बदलाव आयेंगे.


      जरूरी नहीं आपको 1 जनवरी को ही  resolution सुरु करना हैं यदि आपने अभी तक कोई resolution सुरु नही किया तो आप अभी भी सुरु कर सकते हैं तो बिना देर किये अपनी जिन्दगी में सकारात्मक बदलाव सुरु कर दीजिये.


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Thursday, December 28, 2017

Be Expert in your job-hindi story, काम में निपुण बनिए

दोस्तों अक्सर हम जिंदगी में अपने फ्यूचर को लेकर या किसी काम को लेकर confuse रहते हैं क्योकिं  हमे जिंदगी में हर समय विकल्प मिलते रहते हैं और कई विकल्पों में से हमे किसी एक विकल्प को चुनना पड़ता है,



         जैसे अपने करियर को लेकर इंजीनियरिंग करें या बिज़नस करें या writer बने या डिज़ाइनर बने! और भी बहुत से विकल्प. लेकिन कई बार हम किसी काम को चुन तो लेते हैं लेकिन हमारे मन में यही संका बनी रहती है की ये निर्णय हमारा सही है या नहीं, जिसके कारण हम उस काम में फोकस नहीं कर पाते और उस काम को  ठीक से पूरा नहीं कर पाते 


जिससे अक्सर उसे बीच में ही छोड़ देते है और हमे लगता है की हमारा निर्णय गलत था,जबकि यदि किसी भी काम को पूरे फोकस के साथ किया जाय तो उसमे सफलता पाई जा सकती है.


     इसे एक कहानी के माध्यम से समझते हैं........


      दो भाई थे, अजय और आशीष. अजय अपने निर्णय खुद लेता जबकि आशीष निर्णय लेने के लिए दूसरों पर निर्भर होता तथा हमेशा कंफ्यूज रहता.  अजय हमेशा बड़ा बनने के लिए प्रयास करता,वह हमेशा से अमीर बनने के सपने देखता था, कोई भी काम सीखने के लिए हमेशा तैयार रहता और निडरता से हर काम सीखने के लिए तत्पर रहता  चाहे वह  काम उसके काम से सम्बन्धित हो या न हो. यदि उसके पास उससे जरूरी काम न हो तो वह कोई भी नइ चीज सीखने में पीछे नही हटता 



     जबकि आशीष हमेशा कंफ्यूज, डरा हुआ रहता और केवल जरूरी काम ही करता वो भी तब जब उसे करना बहुत जरूरी हो जाय. इस प्रकार अजय जहाँ नई नई चीजे सीखकर अपने ज्ञान का दायरा बढ़ा रहा था वहीं आशीष अपनी छोटी सोच के कारण सीमित ज्ञान के साथ जी रहा था.



      एक बार उनके पिता दोनों के लिए अलग अलग  कंप्यूटर लेकर आये दोनों अपने लिए कंप्यूटर देखकर काफी खुश और excited थे, कंप्यूटर आते ही अजय ने नई नई चीजे सीखना सुरु कर दिया जबकी आशीष काफी टाइम तक यही सोचता रहा की अभी तो कंप्यूटर आया ही है मैं तो कभी भी सीख लूँगा, काफी समय बाद उसने कंप्यूटर चलाना सुरु तो कर दिया लेकिन फिर कंफ्यूज हो गया की क्या ये मेरे लिए सही है क्या मुझे कुछ और करना चाहिए क्या इससे मेरी पढाई पर कोई बुरा असर तो नहीं पड़ेगा और भी बहुत कुछ और वह किसी भी काम में फोकस नहीं कर पाता न कंप्यूटर में, न पढाई में. वह कंप्यूटर को सम्भाल के रखता न उसका इस्तेमाल खुद करता, न किसी और को करने देता, उसे डर था कहीं उसका कंप्यूटर खराब न हो जाय वो बस अपने डर के साथ ही जीता रहा 



     जबकि अजय लगातार नई चीजे सीखता, कंप्यूटर से सम्बन्धित अलग अलग किताबें पढ़ता, कंप्यूटर के जानकार लोगों से मिलता उनसे सीखता, internet से जानकारियां जुटाता और हर तरह से जिस प्रकार भी वो सीख सकता था वह पूरे फोकस से सीखता. कम्प्यूटर के समय वह पूरा फोकस उस पर लगाता और पढाई के समय पढाई पर, जिससे दोनों में ही वह अच्छा ज्ञान हासिल कर पा रहा था.





       धीरे धीरे अजय कंप्यूटर में एक्सपर्ट बन गया उसे कंप्यूटर का बहुत अच्छा ज्ञान हो गया लेकिन वो वहां भी नही रुका और आगे भी सीखता गया फिर उसने कंप्यूटर दूसरो को सीखाना भी सुरु कर दिया और इसी काम में अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया धीरे धीरे उसके पास सैकड़ों लोग सीखने के लिए आने लगे और वह बहुत अच्छे पैसे भी कमाने लगा, अब वह इतने पैसे कमाता था की कई कंप्यूटर एक महीने की कमाई से खरीद सकता था,  



     वही दूसरी और आशीष अभी तक कंप्यूटर की बेसिक जानकारी भी नहीं सीख पाया था, वह अपने डर से कुछ भी करने का साहस नहीं जुटा पाया और बस जिंदगी में संघर्ष ही करता रहा.



       
        एक कहावत अक्सर हम सब सुनते हैं की जितनी चादर हो उतने ही पांव पसारने चाहिय, लेकिन मैं इस कहावत से विपरीत सोचती हूँ  मैं सोचती हूँ जितना आप पांव पसारना चाहते हैं चादर को उतना बड़ा कर दीजिये.


      यानि की कुछ बड़ा  बनने की चाह रखना कोई गलत बात नहीं है किसी भी इंसान को बड़ा सोचने का बडा बनने का पूरा हक है और हर इंसान को इसके लिए प्रयास करना चाहिए यदि हम कोइ भी काम पूरे फोकस से करे तो उस काम में हम धीरे-धीरे एक्सपर्ट बन जायेंगे और किसी भी काम में एक्सपर्ट बनना हमारे लिए अवसरों को खोलता हैं जो हमे तरक्की की तरफ ले जाता हैं, परन्तु याद रखें फोकस हमेशा काम पर रखें पैसे पर नहीं.



        दोस्तों ये पोस्ट आपको कैसी लगी comment जरूर करें... यदि आप अपने सुझाव देना चाहते हैं या आपको इसमे कोई शिकायत है तो कमेंट में लिखें, 


जरूर पढ़ें--
खुद को और दूसरों को प्रेरित करना क्यों जरूरी है!


Saturday, December 23, 2017

hindi story/ कहानी,तुलना नही talent पहचानना है जरूरी




        अमन और साहिल दोस्त थे, वे दोनों एक ही कक्षा, 8वीं में पढ़ते थे, साहिल पढने में अच्छा था और उसके मार्क्स अमन से अच्छे आते थे. अमन पढने में सामान्य था और उसके औसत मार्क्स ही आते थे. हालाँकि उसके अंदर अन्य कई talent मौजूद थे जैसे पेंटिंग बनाना, कविताएँ लिखना और खेलों में अच्छा होना आदि. लेकिन आज के समय में सारे लोग केवल मार्क्स के पीछे ही भाग रहे हैं, और अपने बच्चों के अन्य कोई भी  टैलेंट उन्हें दिखाई ही नही देते न ही वे देखना चाहते हैं, आज के समय में अधिकतर माँ बाप की तरह अमन और साहिल  दोनों के माता पिता भी उनकी दूसरे बच्चो से तुलना करके अपने बच्चों की कमियां उन्हें गिनाने में कोई कसर नही छोड़ते थे, अमन के माता पिता उसे हर बार कम मार्क्स आने पर उसकी तुलना साहिल और अन्य बच्चों से करने लगते और उसे कमतर महसूस करवाते.


       धीरे-धीरे अमन के अंदर आत्मविश्वास की कमी आने लगी वह अपने आप को ओरों की तुलना में अयोग्य समझने लगा और अंदर ही अंदर से हतोत्साहित और कुंठित होने लगा. यही हाल साहिल का भी था अच्छे मार्क्स लाने के बावजूद उसके माता पिता उसपर और अच्छा करने का दबाव डालते रहते और हमेशा no. 1 आने की नसीहत देते. बेहतर करने की दौड़ में हमारे देश के बच्चो का बचपन , उनकी इच्छाए और उनका talent कहीं खो सा गया है. और उसकी जगह भर दिया गया है तो सिर्फ तनाव.



     एक दिन अमन अपने वार्षिक परीक्षा की मार्क शीट लेकर पहुंचा उसका लटका हुआ मुंह देखकर उसके माता पिता को यकीन हो गया कि उसके या तो बहुत कम मार्क्स आयें हैं या वह फेल हो गया है, झट से उसकी मार्कशीट छीनकर उसके पिता ने उसके अंक देखे जो लगभग पहले की परीक्षाओं जैसे थे तो उनका पहला सवाल था -
           "साहिल के कितने मार्क्स आये हैं"
 अमन चुपचाप खड़ा रहा 2, 3  बार पूछने पर वह रोने लगा, उसके पिता को यकीन हो गया की जरूर साहिल के बहुत अच्छे मार्क्स होंगे तभी अमन कम मार्क्स लाने की डर से रो रहा है तो वह अमन पर चिलाने लगे,
         "तुम साहिल की तरह क्यों नही पढ़ते, उसकी तरह मार्क्स क्यों नहीं लाते आखिर तुम उसकी तरह क्यों नही बनते",
अमन और रोने लगा और बोला--
        "क्या आप सचमे चाहते हैं कि मुझे साहिल जैसे बनना चाहिए..... साहिल ने आत्महत्या कर ली है उसके मम्मी  पापा उसपर और अच्छे मार्क्स लाने के लिए बहुत दबाव डाल रहे थे जिससे वह कई दिनों से बहुत तनाव में था जिसके कारण वह फेल हो गया और उसने डर के मारे आत्महत्या कर ली"
 इतना कहकर अमन वहां से जाने लगा फिर वह अचानक रुका और अपने मम्मी पापा की तरफ देखकर बोला           "क्या आप वास्तव में चाहते हैं कि मैं साहिल जैसा बनू!"
 और वहां से चला जाता है.


       यह सब सुनकर उसके माता पिता हक्के बक्के रह जाते हैं अब उन्हें अहसास होता है कि वे कितनी बड़ी भूल कर रहे थे बच्चों पर दूसरों जैसा बनने और उनकी तुलना दूसरों के साथ करने से बच्चों पर कितना नकारात्मक असर पड़ता है, हर बच्चे में अपना टैलेंट होता है अपनी अलग विशेषता होती है उसे ओरों जैसा बनने की जरूरत नहीं होती, अगर साहिल के माता पिता ने उस पर अनावश्यक दबाव न डाला होता और उसको समझा होता तो आज साहिल जिन्दा होता. अमन के माता पिता को समय रहते उनकी गलती का अहसास हो गया लेकिन साहिल के माता पिता के लिए बहुत देर हो चुकी थी वह अपना बेटा खो चुके थे.



       दोस्तों हर इन्सान में कोई न कोई टैलेंट अवश्य होता है हर बच्चे में अपनी अलग खूबियाँ होती हैं जरूरी नहीं अगर वह पढाई में बहुत अच्छा नहीं है तो उसमे कोई टैलेंट ही नहीं है बल्कि हमारे सामने ऐसे कई लोग मौजूद हैं जो पढाई में कुछ खास नहीं थे बावजूद उसके उन्होंने बड़ी कामयाबियां हासिल की, जैसे चीन के सबसे अमीर आदमी जैक मा जो स्कूल में कई बार फ़ैल हुए, थॉमस एडिसन, विंस्टन चर्चिल, सचिन तेंदुलकर और भी बहुत से लोग जो पढाई  में बहुत अच्छे नही थे पर उन्होंने अपने टैलेंट को पहचाना और बहुत कामयाब हुए


       आज के समय में हर माता पिता की यह आदत बन गई है की वह अपने बच्चों की दुसरे बच्चों से तुलना करते रहते हैं, और एसी स्थिति में या तो वो अपने बच्चो को दुसरे बच्चों की तुलना में नीचा दिखाते हैं और उन्हें दुसरे बच्चों जैसा बनाने की नसीहत देते हैं या फिर उनके अच्छे performance से उनको दूसरों से तुलना करते हुए अनावश्यक तारीफे करने लगते हैं, दोनों ही स्थितियों का बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वे भी हर बात में खुद की तुलना करना सीख जाते हैं और उसी में फंसकर रह जाते हैं  अत: हर बच्चे का टैलेंट, इच्छा और उसकी ख़ुशी का ध्यान रखना जरूरी है तभी हर बच्चा अपने सही टैलेंट को पहचान पायेगा और अपनी जिन्दगी का सही मकसद पा सकेगा.





Tuesday, December 12, 2017

आज में कैसे जिए


           वर्तमान में जीना क्यों है जरूरी

         इन्सान का स्वाभाव होता है हमेशा कुछ न कुछ सोचते रहना, यानि हमारे दिमाग में कोई न कोई विचार हमेशा चलता रहता है, जो हमारे बीते कल से सम्बन्धित हो सकता है या भविष्य के लिए कोई कल्पना हो सकती है या कुछ भी विचार हो सकता है, ये विचार हमारे दिमाग में चिपक जाते है और हमे वर्तमान से काटकर रखते हैं, 


     अर्थात हमारा ध्यान जहा हम हैं वहां न होकर कहीं और होता है जिससे हम किसी भी काम में, किसी भी जगह ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते जिससे कोई भी काम न तो समय से पूरा होता है न ही ठीक से होता है, जैसे - पढ़ाई, नौकरी या हम कोई भी दूसरा काम हो उस पर हमारा ध्यान केन्द्रित ही नहीं होता.




        तो आखिर ध्यान को कैसे केन्द्रित किया जाय और किस प्रकार आज में जिया जाय-


        बीते हुए समय को महत्व देना छोड़ दें और आज का महत्व समझे- हमे समझना होगा की जो समय बीत गया वो लौटकर नहीं आता अत: उसका अब कोई महत्व नही है जो भी चीजे बीते कल में हुई उनमे से जो आज आपको काम आ सकती हैं जैसे कोई ज्ञान, experience आदि उनको इस्तेमाल करें और बाकि फालतू की चीजो को छोड़ दें. अक्सर कुछ बाते दिमाग में चिपक जाती हैं और हटने का नाम नहीं लेती,उन्हें अभ्यास द्वारा  दिमाग से हटाया जा सकता हैं,जैसे ही कोई बात दिमाग में आये तुरंत उस बात पर ध्यान दे की मैं क्या सोच रहा हूँ, फिर जो भी काम आप कर रहे है उस पर ध्यान देने की कोसिस करें, 



     विचार आपके दिमाग में बार- बार आते रहेंगे हर बार आप मुस्कराकर फिर से अपना ध्यान अपने काम पर केन्द्रित करने की कोशीश कीजिये. सुरुआत में आप किसी चीज का इस्तेमाल कर सकते है जैसे अलार्म, या घर में रखी हुए कोई चीज( जैसे ही उस चीज पर आपकी नजर जाय तुरंत सोचना बंद कर अपने काम पर ध्यान केन्द्रित करें). मै इसके लिए कुछ दूर पर स्थित मन्दिर और चर्च की घंटियों का इस्तमाल करती हूँ जैसे ही थोड़ी थोड़ी देर बाद घंटियाँ बजती है मैं उसकी आवाज से खुद को काम पर ध्यान केन्द्रित करने की याद दिलाती हूँ. इस प्रकार आप भी किसी आवाज, वस्तु, फ़ोन आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं.




       इसी प्रकार भविष्य की कल्पनाये, जिसमे हम बड़े सपने देखने, ढेर सारे पैसे कमाने, famous होने, गाड़ी, बंगला आदि आदि के बारे में खोये रहते हैं, जब भी कोई काम सुरु करते हैं तो उसकी बड़ी सफलता के बारे में सोचने लगते हैं और हमारा पूरा ध्यान काम से हटकर कल्पनाओं में चला जाता है जिससे काम पर बिपरीत असर पड़ता है और हम सामान्य सफलता भी हासिल नहीं कर पाते. 


    अत: हमे इस तरह की कल्पनाओं से छुटकारा पाकर सिर्फ काम पर ध्यान देना होगा यदि हम काम पर ध्यान देंगे और पूरी मेहनत से उसे करेंगे और खुद को हर दिन बेहतर करते जायेंगे तो खुद व खुद हम अपने काम में तरक्की करने लगेगे. यह तभी सम्भव हो पायेगा जब आप अपने काम को ही मुख्यत: महत्व देंगे और अन्य भौतिक चीजो जैसे पैसा आदि को आवश्यकता से अधिक महत्व नही देंगे.




                                                      

Sunday, December 10, 2017

Struggle- inspirational story in hindi /हिंदी कहानी, संघर्ष जिन्दगी में क्यों जरूरी है

 एक राजा था जो बहुत शक्तिशाली  था तथा जिसका बहुत बड़ा साम्राज्य था, उसके पास बहुत बड़ी सेना थी, और जो भी युद्ध उसने अब तक लडे सभी जीते.

अत: उसपर कोई भी आक्रमण करने की हिम्मत नही करता था, सभी राजा उससे डरने लगे और उससे डर के मारे मित्रता कर ली, कई साल हो गये किसी ने भी उसपर आक्रमण करने की हिम्मत नही की.



राजा को अपनी शक्ति और सेना पर घमंड होने लगा, उसे यकीन होने लगा की कोई भी उसपर आक्रमण नहीं करेगा. 

धीरे-धीरे- राजा ने युद्ध का अभ्यास करना छोड़ दिया, उसकी सेना ने भी वर्षों तक न कोई युद्ध किया, ना ही कोई अभ्यास किया,

उसके हथियारों पर भी जंग लगने लगा और वे पुराने व बेकार होने लगे, लेकिन राजा ने इन सब पर कोई ध्यान नहीं दिया और नशे व जुए में डूबा रहने लगा. उसकी सेना भी अपनी ताकत खोने लगी.


एक बार अचानक किसी विदेशी राजा ने उस पर आक्रमण कर दिया, चूँकि कई सालों से उसने व् उसकी सेना ने कोई अभ्यास नही किया था, तो उस आक्रमण से वे सम्भल नहीं पाए,

और विदेशी राजा ने उसे आसानी से हराकर  बंदी बना लिया. तब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.


    "जहाँ संघर्ष नहीं होता, वहाँ कोई प्रगति नहीं होती!" 

    "IF THERE IS NO STRUGGLE,
     THERE IS NO PROGRESS." 
                                             -- FREDERICK DOUGLASS


दोस्तों  कई लोग इसी प्रकार की गलती अपनी जिन्दगी में करते हैं, वे जब एक comfort जिंदगी पा लेते हैं और उन्हें अपनी जरूरत की चीजे मिलने लगती हैं तो वे संधर्ष करना छोड़ देते हैं,

और धीरे-धीरे उनकी जिन्दगी में जंग लगने लगता है यानी की वो एक ही प्रकार की घिसी पिटी जिन्दगी जीने लगते हैं और पूरी जिन्दगी वहीं अटक जाते है.



दोस्तों जब तक हम खुद को हर दिन पहले से बेहतर  बनाने के लिए संघर्ष नहीं करते, हम चाहे कितने भी बुद्धिमान हो, अमीर हों, शक्तिशाली हों, संघर्ष के बिना और लगातार सीखते रहने के बिना हमारी सारी चीजे हमसे छीण हो जाती हैं और हारने के chances बढ़ जाते है.


''लगातार मेहनत और संघर्ष से ही सामर्थ्य और तरक्की आते हैं."

 ''Strength and growth come only,
 through continuous effort and struggle.''
                                            --   Napoleon Hill 


लेकिन यदि हम लगातार खुद को बेहतर बनाते रहें, अपने ज्ञान की धार को तेज करते रहें और लगातार अच्छी चीजे सीखते रहें तो कोई भी हमे हरा नहीं सकता.



2.  हिंदी कहानी, खुद की नजरों में विजेता कैसे बने

4. प्रेरक पोस्ट चिंता छोड़ दें और आगे बढ़ें


Saturday, December 9, 2017

प्रेरक पोस्ट चिंता छोड़ दें और आगे बढ़ें/ leave stress and to progress

"ख़ुश रहना एक विकल्प है. आप खुस रहना चुन सकते हैं. जिन्दगी में तनाव आता रहता है, लेकिन यह आपकी choice है की आप इसे खुद को प्रभावित करने देते हैं या नहीं." 
     
  "Happiness is a choice. You can choose to be happy. There's going to be stress in life, but it's your choice whether you let it affect you or not."  
                                                                           -Valerie Bertinelli
                                                             

  hello friends

                             कल मैंने अखवार में एक लेख पढ़ा, जिसमे एक शोध के अनुसार पाया गया कि जिन बच्चों के माँ बाप अपने बच्चों पर प्यार नहीं जताते व हर बात पर उन्हें डांटते रहते है ऐसे बच्चों में आत्महत्या की गूंजाइस उन बच्चो की तुलना में काफी अधिक होती है जो बच्चे अपने माता-पिता से भरपूर प्यार पाते हैं और उनका support पाते हैं.


दोस्तों हमारे देश में हर साल सैकड़ों हजारों की संख्या में युवा, छात्र, किसान और महिलाएं आदि आत्महत्या कर देते हैं जो बहुत ही दुःख और शर्म की बात है, सोचकर बहुत अफ़सोस होता है की जो मानवीय संसाधन हमारे देश की सबसे बडी ताकत है और जिसके कारण हम दुनिया में खुद को एक शक्तिशाली देश, ताकतवर देश और एक युवा देश के तौर पर देखते हैं अगर वही ताकत इस प्रकार  व्यर्थ चली जाय तो यह किसी भी देश या समाज के लिए एक कलंक से कम नहीं है.


यदि युवाओं और बच्चो की बात करें, तो आत्महत्या जैसे कदम आखिर उन्हें क्यों उठाने पड़ रहे हैं, क्यों बच्चो में ये नकारात्मकता फ़ैल रही है, क्यों बच्चे अपनी समस्याओं को अपने माता-पिता के साथ share नहीं करते, social networking sites पर आजकल सैकड़ो हजारों friends होने के बावजूद युवा खुद को अकेला क्यों समझने हैं, क्यों उनके और उनके माता-पिता, दोस्तों के बीच इतनी दूरियां आ गयी हैं की वे अपनी कोई भी समस्या अपने माता पिता या दोस्तों से शेयर नहीं करते और उससे खुद ही जूझते  रहते हैं और धीरे-धीरे अवसाद में जाकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं,

क्यों हो रहे हैं बच्चे और युवा अवसाद का शिकार

आजकल की व्यस्त जिंदगी में हर किसी के पास समय की कमी है या यूं कहे की हम समय को बर्बाद कर समय की कमी का रोना रोते हैं, आजकल social साइट्स जैसे फेसबुक, whats app, twitter, youtube etc.... पर कितना समय बर्बाद कर देते हैं कुछ पता ही नही चलता और फिर जो जरूरी काम हैं उनके लिए पर्याप्त समय नही बचता, और यही आदते युवाओ को अवसाद की तरफ ले जाती हैं, इसके साथ ही बच्चों पर अच्छे अंक लाने का, प्रतियोगिता का और अच्छे performance  का हमेशा दबाव बना रहता है, जिससे युवा कहीं न कहीं अपने लक्ष्यों, उदेश्यों, और अपने मकसद को पाने में नाकाम हो रहें हैं जिसके कारण उनमें नकारात्मकता की भावना पनप रही है, यहाँ तक की कुछ युवाओं  के लिए छोटी छोटी नौकरी और थोडा सा पैसा कमाना भी  सपने जैसा हो जाता है, इस प्रकार उनके लिए जिंदगी बोझ जैसी हो जाती है.




क्या हैं उपाय

         
1. समस्या का कारण जाने-

 इस स्थिति से बचने के लिए सबसे पहले समस्या के कारण को जानना जरूरी है किसी भी समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब उसका कारण हमे पता हो, कारण को जानकर जो भी उसका बेहतरीन समाधान हो उसे करे, यकीनन यदि किसी भी समस्या का समाधान हो जाय तो उससे सम्बन्धित चिंता अपने आप समाप्त हो जाती है.




2. बिना डरे अपनी समस्याओं का सामना करें--


अक्सर एक अनजाना डर हमे समस्या का सामना करने से रोकता है और हमे काम को टालने और भूलने के लिए मजबूर करता है जैसे हम कोई नया बिज़नस सुरु करना चाहते हैं लेकिन हमे डर लगता है की कहीं हम उसमे असफल न हो जायं, यही डर हमे कुछ नया करने से रोकता है, इस डर का सामना कीजिये और अपना काम तुरंत सुरु कीजिये उम्मीद कीजिये आप सफल होंगे साथ ही यह भी ध्यान में रखें की असफल भी हो सकते है तो अपने दिमाग को असफलता को सहने के लिए भी तैयार रखें. फिर उन असफलताओ का सामना करें उनसे सीखे  और आगे बढ़ें.






3.आज में जीना सीखें- 

अक्सर हम कोई भी काम सुरु करने से पहले ही उसके बारे में बड़े-बड़े सपने देखने लगते हैं और हमारा पूरा ध्यान बड़ी बड़ी सफलताओं और भविष्य  पर केन्द्रित हो जाता है और हम वास्तविकता से कट जाते हैं फिर हम काम तो बहुत कम करते हैं लेकिन उम्मीदे बहुत ज्यादा करने लगते हैं, जिससे काम पर फोकस न करना हमारे काम को बिगाड़ देता है, अत: आज और अभी के काम पर फोकस करें और भविष्य की चिंता करना छोड़ दें, आज का काम बेहतर होगा तो कल अपने आप अच्छा हो जायेगा.





4.लगातार नया सीखते रहें--


कुछ नया सीखते रहने से व्यक्ति active बना रहता है साथ ही साथ नया सीखते रहने से नये नये अवसर खुलते रहते हैं , इससे व्यक्ति व्यस्त रहता है जिससे फलतू की चिंता परेसान नही कर पाती.





5. माता-पिता की है अहम भूमिका- 


किसी भी बच्चे के जीवन पर उसके माता पिता का बहुत प्रभाव पड़ता है , माता पिता का व्यवहार, उनका आपस में सामंजस्य, बच्चो से उनका व्यवहार, उनका daily  रूटीन ,उनका काम हर चीज बच्चो पर अपना प्रभाव डालती है जो माता पिता अधिक व्यस्त रहते हैं और अपने बच्चो को पर्याप्त समय नही दे पाते उनके बच्चे अकेलापन महसूस करने लगते हैं, अत: माता पिता को चाहिए की अपने बच्चो के लिए पर्याप्त समय निकाले, उनके साथ बैठे, बाते करें, हंसी मजाक करें, उनकी समस्याओं को सुने और उन्हें सुलझाने में अपने बच्चो की मदद करें.


     पोस्ट पर अपने कमेंट अवश्य लिखें. 



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हिंदी कहानी, खुद की नजरों में विजेता कैसे बने

Sunday, December 3, 2017

Selfless Life,hindi story,why should live selfless life/निस्वार्थ जीवन क्यों है जरूरी


"प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है। ये आप ही के कर्मों से आती है।"                                                                                                 - Dalai Lama

       
किसी की बिना स्वार्थ के मदद करना बहुत ही कम लोग जानते हैं, और जो लोग जानते हैं वह उसका महत्व भी समझते हैं, वे जानते हैं की किसी व्यक्ति की मदद करने से जो सच्ची ख़ुशी मिलती है वह बहुत से पैसे देकर भी नही खरीदी जा सकती,

लेकिन बहुत से लोग इसका महत्व नहीं समझते, वे लोग अपने आप में इतने उलझे हैं की किसी और से उन्हें कोई मतलब नहीं, कोई जिए मरे उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ता, उनके लिए वे खुद और ज्यादा से ज्यादा उनके करीबी लोग खुस रहें बाकि दुनिया से कोई मतलब नहीं,

ऐसे लोग कभी खुश नहीं रह पाते और अपनी ही छोटी सोच में उलझकर रह जाते हैं,

आएये पढ़ते हैं ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी जिसका स्वार्थी रवैया उसी के दुःख का कारण बनता है,                       
'एक बार एक सडक हादसे में एक लड़का बुरी तरह जख्मी हो गया, लडके का चेहरा, उसके कपड़े और पूरा शरीर खून से लतपथ था. चारो तरफ लोग इकठ्ठे हो गये, 


     वह खड़े लोगों से मदद मांगने लगा, वह लोगों से विनती करने लगा कि कोई उसे हॉस्पिटल पहुचाये लेकिन वहां खड़ा कोई भी आदमी उसकी मदद के लिए आगे नही आया, वहां भीड़ बढती जा रही थी लेकिन उनमे से कोई भी मदद करने के लिए तैयार नही हुआ,




        सभी तमासबीन बने रहे कोई उसकी फोटो ले रहा, तो कोई मोबाइल से विडियो बना रहा लेकिन उनमे से कोई भी उस घायल लड़के की मदद के लिए आगे नही आया, अंत में उस लडके की नजर सामने खड़े एक व्यक्ति पर पड़ी, लड़का उस व्यक्ति से मदद की भीख मागने लगा उसे यकीन था की यह व्यक्ति उसकी मदद जरूर करेगा,






      लेकिन उस व्यक्ति ने भी उसकी गुहार को अनसुना कर दिया और ओरों की तरह तमासा देखता रहा, अब घायल लड़का और जोर से चिलाने लगा और उस व्यक्ति से मदद करने को प्रार्थना करने लगा लेकिन उस व्यक्ति को तब भी उस लडके पर दया नही आई और अंत में वह खड़ा व्यक्ति वहां से चला गया,



"जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।"                                                                                                                       - Osho 

     कुछ देर बाद उस लडके की आवाज धीमी पड़ने लगी और अंत में उसकी मौत हो गयी, कुछ समय बाद पुलिस उसकी बॉडी को लेकर गयी और उसके पास मिले मोबाइल से उसके माता पिता को सूचित किया गया, जब उसके पिता वहां पहुंचे तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी उसका पिता  वही व्यक्ति था जिससे वह लड़का मदद की गुहार लगा था,



 अपने पिता को देखकर उसे यकीन था वह उसकी मदद जरूर करेंगे लेकिन बेटे का पूरा शरीर और चेहरा खून से लथपत होने के कारण वह उसे पहचान नही पाए और उसकी मदद नहीं की. उसने अन्य लोगों की तरह ही स्वार्थी रवैया अपनाया और सोचा जब कोई मदद नही कर रहा तो मैं क्यों करूं ये मेरा कोई अपना थोड़ी है और अपने स्वार्थी व्यवहार से अपना बेटा खो दिया.



    अब उस लडके का पिता पछताने लगा की अगर उसने निस्वार्थ होकर उसकी मदद की होती तो आज उसका बेटा जिन्दा होता, अब उसके पास जिन्दगी भर के पछतावे के सिवा कोई और रास्ता नहीं था. वह रोता हुआ अपने बेटे के शव को ले गया.



     दोस्तों हमारे देश में हर साल हजारों सड़क हादसे होते हैं जिसमें हजारो लाखों लोग अपनी जान गवां देते हैं, और बहुत सारे लोग सिर्फ इसलिए अपनी जान गवां देते हैं क्योंकि कोई समय पर उनकी मदद नही करता, हम कब तक स्वार्थी बने रहेंगे कब तक सिर्फ अपने बारे में ही सोचते रहेंगे अगर हम इस देश को इस दुनिया को अपना कहते हैं तो फिर इसमे हर इन्सान को अपना क्यों नहीं समझते आखिर लोगों से मिलकर ही तो देश बनता है दुनिया बनती है.




       आज हमें प्रण लेना चाहिए की जब भी किसी भी इन्सान को हमारी मदद की जरूरत होगी हम उसकी मदद निस्वार्थ भाव से करेंगे चाहे वह हमारा सगा सम्बन्धी नही भी हो तो भी. यकीनन निस्वार्थ भाव से की गई मदद इश्वर तक पहुचती है और कहीं न कहीं से हमारे पास वापस लौटकर आती है.



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1हिंदी कहानी, खुद की नजरों में विजेता कैसे बने



Thursday, November 30, 2017

winner-best motivational/inspirational story in hindi, खुद की नजरों में विजेता कैसे बने

                             
एक बार एक Motivational speaker एक स्कूल में Speech देने पहुंचा. उसने speech सुरु करने से पहले छात्रों से पूछा, आप लोगों ने मैराथन दौड़ के बारे में तो सुना ही होगा क्या आप लोग बता सकते हैं इसमें कितने लोग भाग ले सकते हैं और कितने लोग जीतते हैं, 

इस पर एक छात्र ने कहा इसमे सैकड़ों लोग भाग ले सकते हैं जबकि जीतता एक ही है.


Speaker ने कहा- यकीनन वहां बहुत सारे लोग भाग ले सकते हैं, लेकिन क्या winner एक ही होता है?  मैं भी पहले यही सोचता था लेकिन जब मैं खुद एक मैराथन देखने गया तो मेरा अनुभव कुछ और था,


यकीनन वहां दुनिया की नजर में एक ही विजेता था, लेकिन मैं मैराथन के बाद कुछ लोगों से मिला जो विजेता नही थे और उनसे उनके अनुभव के बारे में पूछा -



एक ने बताया- "मुझे विजेता जैसे अनुभव हो रहा है, मैंने जब पिछली बार मैराथन में भाग लिया था तो उसे पूरा नही कर पाया था लेकिन इस बार मैंने उसे पूरा करने की सोची और एसा किया भी तो मैं खुद के लिए एक विजेता हूँ."


दुसरे ने कहा- "मैंने पहले भी मैराथन में भाग लिया था  लेकिन उसे पूरा करने में मुझे 1 घंटे का समय लगा था जबकि इस बार मुझे केवल 50 मिनट का समय लगा है तो  मुझे विजेता जैसी ख़ुशी अनुभव हो रही है."



तीसरा बोला-  "मैंने मैराथन में कभी भाग नही लिया था, इस बार जब मैं  इसमे दौड़ा तो ये मेरे लिए एक अलग अनुभव था और मुझे बहुत ख़ुशी हुई."



चौथा बोला- मेरा 5 साल का बेटा मुझे इस दौड़ में देखना चाहता था जब मैं इसमें दौड़ रहा था तो मेरा बेटा बहुत खुस हो रहा था उसकी ख़ुशी ही मेरे लिए जीत के समान है."



पांचवा बोला- "मैं इस दौड़ में केवल Enjoyment और एक अलग  Experience के लिए सामिल हुआ था जो की मैंने हासिल किया तो खुद में विजेता हूँ.



इसी प्रकार बहुत से लोग अलग अलग उदेश्यों के लिए दौड़ में समिल थे और अपने तरीके से दौड़ के मजे ले रहे थे, और खुद के लिए एक विजेता थे.

जरूरी नहीं आपको जीतने के लिए दूसरों को हराना पड़े, खुद के रिकॉर्ड तोड़ते हुए आगे बढ़ते रहना सफलता का सबसे बढिया तरीका है.


ये जिन्दगी भी एक मैराथन की तरह है इसमे कोई भी विजेता हो सकता है कोई भी जीत सकता है जरूरी नही सभी का उदेश्य एक ही हो, हर किसी का जिन्दगी में अपना अलग उदेश्य हो सकता है, 

लेकिन सबसे जरूरी हैं हर समय खुश रहना और जिंदगी को मजे से जीना.



   दोस्तों  हमारा मुकाबला दुसरो से नही होता बल्कि खुद से होता है यदि हम लगातार अपने ही रिकॉर्ड तोड़ते रहें तो एक दिन अवश्य बहुत बड़ी सफलता हासिल कर लेंगे.



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hindi story/ कहानी,तुलना नही talent पहचानना है जरूरी




Sunday, November 26, 2017

happiness - Inspirational story in hindi/ जो कुछ आपके पास है उसमे खुश रहें.



"सबसे महत्वपूर्ण है, अपनी जिन्दगी को enjoy कीजिये, हमेशा खुश रहिये,

यही सब महत्व रखता है!"
                                                             - Audrey Hepburn
                                                                                                                       


                              
दोस्तों जिंदगी बेहद खूबसूरत चीज का नाम है, लेकिन शिकायते करने के लिए यह बहुत छोटी पड़ जाती है,



अक्सर हमारे पास बहुत सारी चीजे होती हैं जो हमारी जरूरत के हिसाब से काफी हैं,जैसे परिवार, दोस्त, पैसा, घर, खुद की योग्यता, health आदि ..



और हम उन चीजों में ही खुश रहकर जिन्दगी को बेहतर बना सकते हैं, 

लेकिन अधिकतर लोगों का ध्यान अपने पास मौजूद चीजों पर न होकर उन चीजों पर होता है जो उनके पास नहीं होती, जैसे बड़ी गाड़ी, बड़ा घर, दूसरों की तरह ढेर सारे पैसे, और अच्छी जॉब आदि... 



और उन्हीं चीजों पर फोकस करके वे लोग हर समय परेशान रहते हैं और शिकायते करते रहते हैं, खुद की तुलना दूसरों से करते हैं और रोते रहते हैं,


वे उन खुशियों व सम्मान को भी नजरंदाज़ कर देते हैं जो उनके पास है, और फिर कई बार उनसे वे चीजे भी छिन जाती हैं जो उनके पास पहले से मौजूद थीं, निम्न कहानी में हम देखेंगे की कैसे एक सेनापति के अहंकार की वजह से उसका मान सम्मान सब कुछ छिन गया, आएये ये रोचक कहानी पढ़ते हैं-




सेनापति की मुर्खता 

एक राज्य का सेनापति बहुत ही सम्मानित व्यक्ति था. उसके कामों से राजा तथा राज्य की जनता सभी बड़े प्रभावित और खुश थे और उसका बड़ा सम्मान करते थे. 


वह बहुत ही खुस व्यक्ति था. जहाँ भी वह जाता, लोग उसके सम्मान में अपना सर झुकाते थे.



एक दिन वह नगर से होकर गुजर रहा था, सभी लोगों ने उसके अभिवादन  में अपना सर झुकाया, 


किन्तु एक व्यक्ति ने ऐसा नही किया. जब सेनापति को यह बात पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुआ, वह चाहता था की हर कोई उसके सम्मान में झुके किन्तु जब एक व्यक्ति ने एसा नही किया तो उसे यह बात पसंद नहीं आई,  



सेनापति दिन रात उसी के बारे में सोचने लगा, वह उस व्यक्ति को सबक सिखाना चाहता था, उसे यह बात सहन नही हो रही थी कि कोई व्यक्ति उसके सामने क्यों नहीं झुका. 



पूरे राज्य में हजारों लाखों लोग थे जो उसके सम्मान में सर झुकाते थे लेकिन उन सब को भूलकर उसका ध्यान सिर्फ उस व्यक्ति पर  केन्द्रित हो गया जो उसके सामने नहीं झुका.




धीरे-धीरे वह नफरत और बदले की भावना से भर गया और उस व्यक्ति को सबक सिखाने के बारे में सोचने लग गया. 


इससे उसके अन्य कामों पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगा और वह अनेक गलतियाँ करने लग गया, जिस कारण राज्य को नुकसान होने लगे, इससे राजा और प्रजा दोनों के बीच उसका सम्मान कम होने लग गया, और अंत में राजा ने उसे सेनापति के पद से हटा दिया.
इस बात से उसको बड़ा आघात पहुंचा, वह अंदर ही अंदर से टूटने लगा, अब कोई भी व्यक्ति उसका सम्मान नही करता था, 


वह कई सालों तक एक असंतुष्ट जीवन जीता हुआ भटकता रहा और अंत में मानसिक बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई.




निष्कर्ष 



दोस्तों जो लोग अपने पास मौजूद चीजों, पदों और लोगों की कीमत नहीं समझते और जो उनके पास नही है उसके पीछे भागते रहते हैं उनका यही हश्र होता है. 



अक्सर हमारे पास एक खुश जीवन जीने के लिए सब कुछ होता है लेकिन हम और ज्यादा के लालच में उन चीजो का मजा भी नही ले पाते हैं जो हमारे पास हैं. 




"यदि मैं  मेरी विकलांगता के लिए गुस्सा करूं तो ये मेरे लिए समय व्यर्थ गवाने जैसे होगा! यदि आप हमेशा शिकायते करते रहोगे और क्रोधित रहोगे तो लोगों के पास आपके लिए समय नहीं होगा!" 

                                                                                                              -स्टीफन हॉकिंग 


अपने जीवन को और बेहतर बनाने की कोशिस करना बहुत अच्छी बात है लेकिन जब हम वर्तमान में जो भी हमारे पास है उसमे खुश नही हैं तो भविष्य में खुश रहेंगे इसकी क्या गारंटी है. 



यकीनन आपके पास वह सब नही होगा जो आप चाहते होंगे लेकिन वह सब होगा जो आपके जीवन जीने के लिए आवश्यक है. 

Saturday, November 25, 2017

About




  Hello Friends,

                       I am Neeta Bisht  Founder of Happy Mind.  दोस्तों मुझे creativity बहुत पसंद है और  मैं हर  situation को अच्छे से  observe करती हूँ जिससे विभिन्न समस्याओं का समाधान निकाल सकूं. इसी के आधार पर मैं विभिन्न inspiring or interesting  कहानियाँ और thoughts लिखती हूँ.

           दोस्तों इस ब्लॉग में मैं inspirational stories, motivational thoughts और  positive thoughts लिखती हूँ, मैं कोशिस करूंगी कि जो कुछ भी आपलोग यहाँ पढ़ेंगे वह नया और interesting होगा. मैं अधिक से अधिक inspirational and motivational  stories के माध्यम से अपने विचार रखूंगी, ताकि पोस्ट inspiring  होने के साथ साथ interesting भी हो. साथ ही साथ आवश्यकता अनुसार नये नये बदलाव भी करूंगी. ताकि रोचकता बनी रहे.
       
                

Tuesday, October 10, 2017

always happy / हमेशा खुस कैसे रहें in hindi


                      
 part 2 हमेशा खुस कैसे रहें



     सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है की ख़ुशी क्या है! अक्सर लोग ख़ुशी और मजा दोनों में फर्क नही कर पाते और दोनों को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन दोनों में अंतर है, जब आप मजे में हैं तो जरूरी नही आप खुस भी हैं लेकिन जब आप खुश हैं तो यकीनन मजे में भी हैं. आइसक्रीम खाने से हमें मजा आता है लेकिन ये ख़ुशी नहीं है, दरअसल मजा बाहरी दुनिया से मिलता जबकि ख़ुशी अंदर से आती है, मजा स्थिर नही होता कभी है तो कभी नहीं जबकि सच्ची  ख़ुशी स्थिर होती है.





      हर काम जो हमे बाहरी आनन्द देता है जैसे कोई पिक्चर देखना, पैसे कमाना, कोई स्वादिष्ट चीज खाना, अपना मनपसन्द खेल खेलना आदि इन सब में मजा हैं जो जब हैं तो हम खुद को खुश समझने लगते हैं जब नहीं हैं तो खुद को दुखी समझने लगते हैं, जबकि ख़ुशी का इनसे दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नही है, ख़ुशी वह है जो हमारे अंदर से निकले जिसे कोई समस्या कम न कर सके जब हम हर पल में अंदर से खिलखिला रहे हों चाहे बाहर से न भी हंसे. जब किसी की तारीफ या बुराई का हम पर कोई असर न हो, जब हम अकेले हों या किसी के साथ, दोनों ही स्थितियों में खुश हों, 





    जब हम कोई काम ख़ुशी के लिए नहीं कर रहे बल्कि ख़ुशी से कोई काम कर रहे हों तो हम सही मायने में खुश हैं, जब हमारे अंदर किसी चीज का लालच न हो न ही किसी चीज का घमंड, न किसी से इर्ष्या, न किसी को खुद से कम समझे ने खुद को किसी से कम, जब लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं हमे इसकी भी कोई परवाह न हो, ना ही हमारे अंदर नाम, पैसे का लालच हो और न ही दिखावा हो, हम हर परिस्तिथि में एक समान हों तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें दुखी नही कर सकती और हम हमेशा खुश रहते है. ये सब काल्पनिक बाते नही हैं बल्कि ये सब सम्भव है जरूरत है तो खुद को समझने की, खुद के अस्तित्व को जानने की और ये समझने की कि इस दुनिया में आने का हमारा मकसद क्या है, खुद से एक सवाल पूछें की मै कौन हूँ और मेरी जिंदगी का क्या मकसद है?



  'बिना किसी वजह के खुश होना ही असली ख़ुशी है'


    अब देखते हैं कि सच्ची ख़ुशी के स्तर तक कैसे पहुंचा जा सकता है—


मन की शांति / Peaceful mind   

    जब तक मन शांत है आप हर पल का आनन्द उठा सकते हैं, शांत मन ख़ुश रहने का एक बहुत बड़ा जरिया है. आजकल के अफता-तफरी के जीवन में लोग हर समय बेचैन रहते हैं, हर समय competition की तैयारी, आगे बढ़ने की हडबडाहट, पीछे रह जाने का डर, भविष्य की चिंता लोगों को बेचैन किये हुए है, 


'कोई इंसान केवल उतना खुश रह सकता है जितना वो अपने दिमाग को खुश रखता है'


   इस बेचैनी के दर्द से बचने के लिए लोग T.V., Social Networking sites, video games, comedy shows आदि का सहारा लेते हैं, और अपना समय बर्बाद करते हैं, और हर दिन वे ये सोचकर इन चीजो में डूब जाते हैं की सिर्फ 10 मिनट देखता हूँ, लेकिन 2-4 घंटे कब निकल जाते हैं पता भी नहीं चलता और फिर यही लोग टाइम कम होने की सिकायत करते हैं, इन सब के बीच उनके पास समय नही बचता की वे अपना थोडा सा समय खुद को और अपने परिवार को दे सकें, जिससे कहीं न कहीं लोग खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं.




     दोस्तों इन सब चीजों से अपने ध्यान को हटाने के लिए आपको सबसे पहले कुछ समय निकालकर खुद के बारे में सोचना होगा, अपने आप पर ध्यान देना होगा, खुद से कुछ सवाल करने होंगे जैसे—

1.मेरी जिंदगी का मकसद क्या है?

2. success क्या है?, क्या सफलता केवल पैसा कमाना है? और अगर हाँ तो मै पैसे क्यों कमाना चाहता हूँ? (क्योंकि इससे मैं गाड़ी, बंगला खरीद सकता हूँ और हाई फाई life जी सकता हूँ, मतलब एक दिखावटी जीवन जी सकता हूँ तो इस तरह की सोच आपको कभी खुस नही रहने देगी चाहे आप इतना पैसा कमा भी लो या नही),

3. क्या जिस पल में मैं हूँ उसी पल में जी रहा हूँ? (या फिर past में खोया हूँ या फिर भविष्य की कल्पनाओं में डूबा हूँ, अगर हाँ तो जल्दी अपने वर्तमान में आ जाइए),

4. क्या मैं इस तरह की जिंदगी जी सकता हूँ जिससे मैं हर समय खुश रह सकूं?,

5. क्या मैं अभी खुश हूँ?, क्या मैं बिना किसी वजह के खुश रह सकता हूँ?

    इस तरह के सवालों के जवाब आपको आपकी जिंदगी का असली मकसद बतायेंगे, और आप वास्तव में सच्ची ख़ुशी को पा सकेंगे---




पहला सवाल है कि  हमारी जिन्दगी का मकसद क्या है --- हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा मकसद है खुद को जानना, अपने अंदर देखिये अपनी शक्तियों पर ध्यान दीजिये, आपमे ब्रह्मांड की सारी शक्तियाँ समाई हुई हैं, आपकी शक्तियों के सामने कोई भी समस्या बहुत छोटी है. अपनी योग्यताओ को पहचानिए, अपनी क्षमताओं पर गौर कीजिये, आपमें एसी छुपी हुई क्षमताये मौजूद हैं जिसका आपको भी ज्ञान नही है, वो क्षमताये जो न केवल खुद आपकी जिंदगी बदल सकते हैं बल्कि दुनिया को बदलने की ताकत भी रखते हैं, आपके अंदर एसी एसी शक्तियां हैं जो खुद आपको भी चौंका देंगी वो अब तक दिखी नही क्योंकि किसी ने उन्हें देखने का प्रयास ही नही किया, आपने भी नहीं.

''जिंदगी का असली मकसद है खुद को पहचानना'

 दोस्तों खुद को जानने, समझने और खुद को पहचानने के लिए खुद पर ध्यान देना जरूरी है, खुद पर ध्यान देने से आपके अंदर की बेचैनी खत्म होगी और आप का मन शांत होगा. Meditation एक एसा तरीका है जिससे आप अपने आप को और बेहतर जान सकते हैं,  इसके लिए आप youtube पर spiritual reality power of meditation नाम से एक video को भी देख सकते हैं. इस प्रकार आप अपने मन को शांति अवस्था में ले जायेंगे और आप सच्ची ख़ुशी पा सकेंगे. फिर आप जो भी काम करेंगे पूरे दिल से करेंगे कोई बेचैनी नही, कोई घबराहट नहीं, सिर्फ शांति, सुकून और ख़ुशी.

   धीरे- धीरे आपके लिए सफलता-असफलता, ख़ुशी, प्रेम, जीवन सभी की परिभाषा बदल जाएगी और आपके दिल में लालच, इर्ष्या, क्रोध, नफरत के लिए कोई जगह नही रह जाएगी, आपका दिल प्रेम, दया, ख़ुशी, क्षमा, से भर जायेगा और अब आप वास्तव में आँखे खोलकर इस दुनिया को देख पायेंगे.



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